Wheat prices गेहूं के दामों में उछाल, चना भी हुआ महंगा: आपूर्ति और मांग में असंतुलन से बढ़ी कीमतें
भारत में त्योहारी सीजन के चलते गेहूं और चने की कीमतों में भारी उछाल देखा जा रहा है। छिंदवाड़ा मंडी में गेहूं के भाव में 300 रुपए और चने के भाव में 1000 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। आपूर्ति में कमी और बढ़ती मांग की वजह से अनाज के दाम आसमान छू रहे हैं।
Wheat prices गेहूं के दामों में उछाल, चना भी हुआ महंगा: आपूर्ति और मांग में असंतुलन से बढ़ी कीमतें
त्योहारी सीजन में बढ़ती मांग और कमजोर आवक से अनाज के भाव में तेज़ी, गेहूं 300 रुपए महंगा और चना में 1000 रुपए का उछाल
मध्यप्रदेश न्यूज़: भारत में त्योहारी सीजन की शुरुआत होते ही अनाज की मांग में तेज़ी आ गई है, जिसके कारण गेहूं और चने के दामों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। पिछले एक महीने में छिंदवाड़ा की स्थानीय मंडी में गेहूं के भाव में 300 रुपए की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, चने की कीमतों में भी 1000 रुपए तक का इजाफा हुआ है।
गेहूं की मांग और कमजोर आवक
भारत में अगस्त से त्योहारी सीजन की शुरुआत होती है, और इसी के साथ आटा, सूजी और गेहूं की मांग भी बढ़ जाती है। हालांकि, मंडियों में गेहूं की आवक में कमी देखने को मिल रही है, जिससे भाव बढ़ रहे हैं। छिंदवाड़ा मंडी में 25 अगस्त 2024 तक गेहूं के भाव 2650 रुपए से बढ़कर 2944 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। मंडी में रोजाना औसतन 5000 से 6000 क्विंटल गेहूं की ही आवक हो रही है, जो मांग के मुकाबले काफी कम है।
महीना | गेहूं का भाव (रुपए प्रति क्विंटल) | आवक (क्विंटल) |
---|---|---|
जुलाई 2024 | 2650 | 70,000 |
अगस्त 2024 | 2944 | 60,000 – 70,000 |
चने के भाव में भी तेजी
बढ़ती मांग और आपूर्ति में कमी का असर चने की कीमतों पर भी पड़ा है। जुलाई के मध्य में चने का भाव 6360 रुपए प्रति क्विंटल था, जो 24 अगस्त तक बढ़कर 7440 रुपए तक पहुंच गया। इस दौरान चने के भाव में धीरे-धीरे वृद्धि हुई है, जो बाजार की मजबूत मांग का संकेत है।
छिंदवाड़ा अनाज व्यापारी संघ के अध्यक्ष प्रतीक शुक्ला ने बताया, “सीजन के समाप्त होने की वजह से मंडियों में आवक कम हो रही है और सरकार की तरफ से भी गेहूं का इंपोर्ट नहीं किया जा रहा है। बाजार में गेहूं की उपलब्धता कम होने के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा, त्योहारों की वजह से भी अनाज की मांग बढ़ रही है।”
त्योहारी सीजन का प्रभाव
त्योहारी सीजन के दौरान बेसन की मांग में भी बढ़ोतरी होती है, जिसके लिए चना मुख्य घटक होता है। चने के भाव में उछाल के पीछे इस बढ़ी हुई मांग का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
आपूर्ति और मांग का संतुलन
आपूर्ति में कमी और मांग में बढ़ोतरी से अनाज की कीमतों में उछाल आना स्वाभाविक है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार द्वारा गेहूं और चने का इंपोर्ट नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में इनके भाव और बढ़ सकते हैं। इसके अलावा, मंडियों में आवक बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि बाजार में अनाज की उपलब्धता बनी रहे।
वर्तमान स्थिति में, किसानों और व्यापारियों दोनों को ही अनाज की कीमतों में तेज़ी से लाभ हो रहा है, लेकिन उपभोक्ताओं पर इसका अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। आने वाले दिनों में अगर सरकार उचित कदम उठाती है, तो कीमतों में स्थिरता आ सकती है।
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